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आयकर रिटर्न की आखिरी तारीख बढ़े 15 अक्टूबर तक? एटीबीए ने की मांग, पोर्टल की तकनीकी खामियों से करदाता परेशान

भारत में आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने का दौर अंतिम चरण में पहुँच चुका है, लेकिन इस बार करदाताओं को आयकर पोर्टल की तकनीकी खामियों ने बुरी तरह से परेशान कर दिया है। ऑल टैक्स बार एसोसिएशन (ATBA) ने सरकार और सीबीडीटी (CBDT) से मांग की है कि आयकर रिटर्न फाइलिंग की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाई जाए, ताकि करदाता बिना बाधा और तनाव के रिटर्न दाखिल कर सकें।

पोर्टल पर लगातार तकनीकी गड़बड़ियाँ

करदाताओं और टैक्स प्रोफेशनलों ने पोर्टल से जुड़ी कई समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया है, जिनमें प्रमुख हैं:

इन गड़बड़ियों ने लाखों करदाताओं को रिटर्न भरने की प्रक्रिया में उलझा दिया है।

एटीबीए का रुख

एटीबीए का कहना है कि तकनीकी अड़चनों की वजह से यदि करदाता रिटर्न समय पर नहीं भर पाते तो उन्हें लेट फीस और पेनल्टी का सामना करना पड़ता है, जबकि गलती उनकी नहीं है। इसीलिए उन्होंने स्पष्ट मांग रखी है कि:

करदाताओं की शिकायतें

कई करदाता सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराज़गी जाहिर कर चुके हैं। उनका कहना है कि काम का दबाव पहले से ही अधिक है और पोर्टल की धीमी रफ्तार ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।

छोटे शहरों में इंटरनेट स्पीड धीमी होने के कारण समस्या और गंभीर हो जाती है। टैक्स कंसल्टेंट्स का कहना है कि यदि समयसीमा नहीं बढ़ाई गई तो कई करदाताओं को लेट फीस और ब्याज देना पड़ेगा।

सरकार का रुख

सरकार ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। सामान्य परिस्थितियों में वित्त मंत्रालय और सीबीडीटी समयसीमा बढ़ाने से बचते हैं, लेकिन पिछले वर्षों में तकनीकी गड़बड़ियों के चलते डेडलाइन कई बार आगे बढ़ाई गई है। इस बार भी उम्मीद है कि सरकार करदाताओं की परेशानी को देखते हुए मांग पर विचार करेगी।

विशेषज्ञों की राय

टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल इंडिया की दिशा में यह पोर्टल अहम कदम है, लेकिन इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। उनका मानना है कि यदि सरकार डेडलाइन आगे बढ़ा देती है तो करदाताओं को राहत मिलेगी और वे बिना पेनल्टी के अपने रिटर्न दाखिल कर सकेंगे।

निष्कर्ष

एटीबीए की यह मांग साफ तौर पर दिखाती है कि आयकर पोर्टल को अभी और तकनीकी सुधार की आवश्यकता है। करदाताओं के हित में सरकार को इस मामले पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।

यदि सरकार 15 अक्टूबर तक समयसीमा बढ़ाती है, तो यह न केवल करदाताओं के लिए बड़ी राहत होगी बल्कि यह सरकार की पारदर्शिता और व्यावहारिक दृष्टिकोण का भी प्रमाण होगा।

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