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एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन बने देश के 15वें उपराष्ट्रपति

एनडीए समर्थित सी.पी. राधाकृष्णन बने देश के 15वें उपराष्ट्रपति, हासिल किए 452 मतभारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन को देश का 15वां उपराष्ट्रपति चुन लिया गया है। शनिवार को हुई उपराष्ट्रपति चुनाव की मतगणना में राधाकृष्णन ने भारी अंतर से जीत दर्ज की और विपक्षी खेमे के उम्मीदवार को पराजित किया। इस जीत के साथ ही अब वे राज्यसभा के सभापति (Chairman of Rajya Sabha) के पद का दायित्व भी संभालेंगे।

चुनाव परिणाम और मतगणना

चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणामों के अनुसार, राधाकृष्णन को कुल मतों में से दो-तिहाई से अधिक वोट मिले। संसद भवन में हुए मतदान में एनडीए के साथ-साथ कुछ गैर-एनडीए दलों के सांसदों ने भी उनका समर्थन किया। यह साफ दर्शाता है कि उनके प्रति राजनीतिक सहमति और विश्वास का स्तर काफी ऊँचा है। विपक्षी उम्मीदवार ने भी अच्छे प्रयास किए, लेकिन एनडीए के पास पहले से ही बहुमत का स्पष्ट आंकड़ा मौजूद था।

राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर

सी.पी. राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर में हुआ। वे लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े रहे हैं। दो बार लोकसभा सांसद रह चुके राधाकृष्णन ने पार्टी संगठन में भी कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। उन्हें दक्षिण भारत में भाजपा को मजबूत करने वाले नेताओं में गिना जाता है।

वे समाजसेवा और ईमानदार छवि के लिए भी जाने जाते हैं। राजनीतिक जीवन के अलावा वे शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास से जुड़े अनेक कार्यों में सक्रिय रहे हैं। यही कारण है कि उन्हें न केवल राजनीतिक सहयोगियों बल्कि विपक्षी नेताओं का भी सम्मान प्राप्त है।

उपराष्ट्रपति का महत्व

भारत का उपराष्ट्रपति संवैधानिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण पद है। वह न केवल देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पदाधिकारी होता है, बल्कि राज्यसभा का सभापति भी होता है। राज्यसभा में कानून निर्माण की प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाना उपराष्ट्रपति की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। संसद के उच्च सदन में निष्पक्षता, अनुशासन और संतुलन बनाए रखने में उनकी भूमिका अहम होती है।

सी.पी. राधाकृष्णन के अनुभव और शांत स्वभाव से उम्मीद की जा रही है कि वे इस भूमिका को सफलतापूर्वक निभाएंगे।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्षी खेमे ने इस चुनाव परिणाम को स्वीकारते हुए राधाकृष्णन को शुभकामनाएँ दीं। कांग्रेस समेत कई दलों ने उम्मीद जताई है कि वे राज्यसभा में सभी दलों को समान अवसर देंगे और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करेंगे।

हालाँकि कुछ विपक्षी नेताओं ने यह भी कहा कि यह जीत एनडीए की संख्या बल पर आधारित थी और वास्तविक चुनौती राज्यसभा की कार्यवाही को संतुलित और निष्पक्ष ढंग से चलाने में होगी।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की बधाई

चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर राधाकृष्णन को बधाई दी और कहा कि उनका अनुभव देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को और सशक्त करेगा। वहीं, राष्ट्रपति ने भी उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए आशा जताई कि वे भारतीय संसद की गरिमा को और ऊँचाई पर ले जाएंगे।

भविष्य की चुनौतियाँ

राधाकृष्णन के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी राज्यसभा की कार्यवाही को शांतिपूर्ण और उत्पादक बनाए रखना। पिछले कुछ वर्षों में संसद की कार्यवाही में व्यवधान और हंगामे की घटनाएँ बढ़ी हैं। ऐसे में उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे संवाद और सहयोग की संस्कृति को आगे बढ़ाएँगे।

इसके अलावा, विभिन्न राज्यों और राजनीतिक दलों के बीच पुल का काम करना भी उनके लिए अहम होगा। उपराष्ट्रपति के तौर पर वे न केवल सदन का संचालन करेंगे बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत करने में भी अपनी भूमिका निभाएँगे।

निष्कर्ष

एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति चुना जाना उनके लंबे राजनीतिक और सामाजिक योगदान की मान्यता है। वे ऐसे समय में इस पद पर आसीन हो रहे हैं जब देश कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना कर रहा है। लोकतांत्रिक मूल्यों, संवैधानिक परंपराओं और संसद की कार्यवाही को संतुलित बनाए रखने में उनकी भूमिका बेहद अहम होगी।

उनकी जीत न केवल एनडीए की राजनीतिक ताकत का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारतीय राजनीति में अनुभवी और स्वच्छ छवि वाले नेताओं की आज भी अहमियत बनी हुई है। देश की निगाहें अब इस बात पर टिकी रहेंगी कि वे राज्यसभा के सभापति के रूप में किस तरह से सदन का संचालन करते हैं और सभी दलों के बीच संतुलन स्थापित करते हैं।

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