केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्तीय वर्ष 2024–25 (Assessment Year 2025–26) के लिए विभिन्न प्रकार की आयकर ऑडिट रिपोर्ट्स (Tax Audit Reports) की फ़ाइलिंग के लिए निर्धारित “specified date” को 30 सितंबर 2025 से 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दिया है। यह कदम उस घोषणा के बाद आया है जो CBDT/Income Tax विभाग ने आधिकारिक रूप से जारी की है।
किसे प्रभावित करता है — किन असेसियों के लिए यह छूट है?
नोटिफिकेशन के अनुसार यह विस्तार उन असेसियों के लिए लागू है जिनका उल्लेख Section 139(1) के Explanation 2 के clause (a) में किया गया है — अर्थात् जिन असेसियों के लिए रिटर्न-फाइलिंग की “due date” अलग तरह से निर्धारित होती है (यानी कंपनियाँ और अन्य उसी श्रेणी के असेसीज़ जिन पर सेक्शन 139 के अनुरूप विशिष्ट नियम लागू होते हैं)। सरल भाषा में: जिन करदाताओं के ऊपर कानूनी तौर पर टैक्स ऑडिट की आवश्यकता है (जिनकी टर्नओवर/ग्रोस रसीदें निर्धारित सीमा से अधिक हैं), वे इस विस्तार का लाभ उठा सकेंगे। (ध्यान दें: किसी खास केस में आपके ऊपर टैक्स-ऑडिट की बाध्यता का निर्धारण आयकर अधिनियम की प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए)।
यह निर्णय क्यों और कब लिया गया?
CBDT ने यह विस्तार कई पेशेवर संस्थाओं और करदाताओं की अपीलों के मद्देनज़र किया है, जिनमें यह मामला सामने आया कि पोर्टल-सुधार, तकनीकी परिवर्तन और कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं/दिक्कतों के कारण समय पर्याप्त नहीं था। सरकारी प्रेस रिलीज में भी यह कहा गया है कि यह निर्णय असेसियों को अतिरिक्त समय देने के उद्देश्य से लिया गया है। साथ ही Income-tax e-filing पोर्टल की स्थिति को लेकर भी अपडेट दिए गए हैं।
पोर्टल की स्थिति और अब तक कितनी रिपोर्ट जमा हुईं?
सरकार और मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि Income-tax e-filing पोर्टल सामान्य रूप से कार्य कर रहा है, और 24 सितंबर 2025 तक लाखों टैक्स-ऑडिट रिपोर्ट्स जमा की जा चुकी थीं — फिर भी बड़ी संख्या बची हुई थी, जिसके मद्देनज़र यह निर्णय प्रभावी माना जा रहा है। यह विस्तार करपेशेवरों और असेसियों को शुद्धता के साथ रिपोर्ट तैयार करने का अतिरिक्त समय देता है।
करदाताओं के लिए आवश्यक कदम (What you should do)
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अपनी ऑडिट रिपोर्ट और संबंधित annexures-Schedules को जल्दी से जल्दी पूर्ण करें, परन्तु जल्दबाजी में त्रुटियाँ न हो — अब आगे की तारीख 31 अक्टूबर 2025 है।
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यदि आपका ऑडिट किसी CA/फर्म के माध्यम से हो रहा है, तो उनसे रीयल-टाइम समन्वय बनाए रखें ताकि आवश्यक दस्तावेज़ और रिपोर्ट समय पर तैयार हों।
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इलेक्ट्रॉनिक फ़ाइलिंग के दौरान किसी भी त्रुटि/तकनीकी समस्या पर तुरंत ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉग खोलें और आवश्यक सपोर्ट प्राप्त करें। (यदि पोर्टल पर कोई विशेष त्रुटि दिखे तो रिकॉर्ड रखें)।
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यदि आपका रिटर्न पहले से ही भरा जा चुका है पर ऑडिट रिपोर्ट बाकी है, तो ऑडिट रिपोर्ट समय पर न देने पर कटौती/दंड/अन्य कानूनी प्रभावों की जानकारी अपने कर सलाहकार से लें।
देरी पर संभावित दण्ड और जोखिम
ध्यान रहे कि सामान्यतः यदि ऑडिट रिपोर्ट नियत तिथि पर प्रस्तुत नहीं होती है तो आयकर अधिनियम के तहत दंड (penalty) और अन्य अनुशासनात्मक प्रावधान लागू हो सकते हैं। इसलिए इस एक महीने के विस्तार का लाभ लेते हुए भी नियमानुसार और सटीक रिपोर्ट भेजना आवश्यक है।
विशेषज्ञों की सलाह और बाजार-प्रतिक्रिया
कई टैक्स-प्रोफेशनल्स और कर सलाहकारों ने इस विस्तार का स्वागत किया है और कहा है कि एक अतिरिक्त माह से सही त्रुटि-मुक्त ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने में मदद मिलेगी — विशेषकर उन मामलों में जहां पोर्टल-अपडेट्स या प्राकृतिक आपदाओं के कारण काम प्रभावित हुआ था। साथ ही कुछ हाई-कोर्ट मामलों और पेशेवर संगठन-अनुरोधों का भी उल्लेख किया जा रहा है, जिनका प्रभाव इस निर्णय पर पड़ा।
निष्कर्ष — क्या करदाताओं को राहत मिली?
हाँ — तकनीकी कारणों, बड़े-पैमाने पर रिटर्न/रिपोर्ट की संख्या और पेशेवरों की समस्याओं को देखते हुए यह एक सार्थक राहत के रूप में देखा जा रहा है। परन्तु यह राहत केवल समय-सीमाओं में विस्तार है — सच्ची रक्षा तब होगी जब रिपोर्ट सही, पूर्ण और समय पर सबमिट की जाए। इसलिए करदाताओं और उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को इस एक महीने का उपयोग रिपोर्ट की गुणवत्ता बढ़ाने और compliance सुनिश्चित करने के लिए करना चाहिए।